TikTok भारत में क्यों प्रतिबंधित होना चाहिए?
प्रियांशु सेठ
चीन के मोबाइल एप्लीकेशन TikTok के बारे में आप सबने सुना ही होगा। इस एप्लिकेशन ने आज केवल भारतीय युवावर्ग को ही नहीं बल्कि विश्वभर के युवावर्ग को अपना शिकार बनाया है। लगभग 141 देशों में यह एप्लीकेशन उपलब्ध है और अकेले भारत में इसके 120 मिलियन उपयोगकर्ता हैं। इस एप्लीकेशन के अन्तर्गत युवावर्ग एक संक्षिप्त वीडियो (Short Video) बनाते हैं और उसे विश्वभर में फैलाते हैं। युवाओं का मानना है कि यह मनोरंजन का एक अच्छा साधन है।
क्या आप जानते हैं कि इस एप्लीकेशन पर मुस्लिमों द्वारा जिहाद के समर्थन में वीडियो बनाकर किस प्रकार षड्यन्त्र रचा जा रहा है? वर्ष 2019 में TikTok प्रोफाइल 'Team 07' (मुस्लिम युवाओं द्वारा संचालित) ने एक वीडियो प्रसारित किया था जिसमें हिन्दुओं की भीड़ द्वारा झारखण्ड में तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में पीटने पर इन लोगों ने कहा था- "यदि अंसारी के बच्चे बड़े हुए और अपने पिता की मौत का बदला लिया तो यह नहीं कहा जाना चाहिए कि एक मुस्लिम एक आतंकवादी है।" यद्यपि मैं भी भीड़ द्वारा किसी की हत्या का समर्थन नहीं करता क्योंकि दण्ड देने का काम देश की पुलिस और न्याय-व्यवस्था का है, लेकिन किसी वीडियो या अन्य साधनों के जरिये समाज में हिंसा को बढ़ावा देने का पूर्ण रूप से मैं विरोध करता हूं। इन युवाओं के खिलाफ सरकार द्वारा कानूनी कार्यवाही भी की गई थी और बाद में इन लोगों ने अपने वीडियो के लिए जनता से माफी मांगी थी। उन्हीं दिनों 'बिग बॉस' कंटेस्टेंट और एक असफल अभिनेता 'अजाज खान' ने 'Team 07' के इस वीडियो के समर्थन में मुस्लिमों को बाहर निकलने और दंगा करने के लिए एक वीडियो के माध्यम से भड़काया था। बाद में वह अभिनेता मुम्बई पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किया गया। इसके बाद मुस्लिम वर्ग ने TikTok पर हिन्दू लड़कियों के प्रति शारीरिक हिंसा, एसिड हमले, हिन्दुओं की आध्यात्मिकता पर सवाल, कोरोनावायरस से बचाव करते पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी, क्वारंटाइन में चिकित्सकों पर थूकना और नर्सों के साथ बदसलूकी आदि घृणित कार्यों के सम्बन्ध में वीडियो डालने शुरू कर दिये।
TikTok पर कई हिन्दू लड़कियां मुसलमानों के इस जिहादी षड्यन्त्र में फंसी हैं, जिसमें स्क्रीन-शेयरिंग के जरिये हिन्दू लड़कियों को फंसाया जा रहा है। यह षड्यन्त्र मुसलमानों ने विशेषकर हिन्दूवर्ग को ही फंसाने के लिए रचा है। इन लोगों का ध्येय अपने जिहाद को गति देना है। मुसलमानों द्वारा हिज़ाब, लव-जिहाद, शारीरिक उत्पीड़न, यौन-सम्बन्धी जैसे घिनौने कार्यों पर आधारित वीडियो बनाकर हिन्दूवर्ग को यह दिखाने का प्रयत्न किया जा रहा है कि इस्लामी मज़हब में सब तरह के कार्यों की छूट है, इसलिए यह श्रेष्ठ है। जरा आप विचार कीजिए कि जिस मज़हब में कभी आतंकवाद के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई जाती, जिनके ग्रन्थों में पत्नी के अलावा रखैल रखने की इजाज़त है, मनुष्य के अलावा जीवों से संभोग करने का वर्णन है, मुसलमानों को छोड़कर अन्य मत और धर्म के अनुयायियों के क़त्ल करने का हुक़्म है, निरपराध जीव-जन्तुओं की हत्या का नियम है, जिनके मज़हब का संस्थापक खुद एक बलात्कारी हो, भला वह मज़हब कभी श्रेष्ठ कैसे हो सकता है?
कोरोनावायरस के चलते इन दिनों इस्लाम के ठेकेदारों ने क्या-क्या हरकतें की थीं, यह बात शायद ही किसी हिन्दू या किसी मत के लोगों से छिपी हो। इसके बावजूद हिन्दूवर्ग मुसलमानों के बनाये षड्यन्त्र में फंस रहा है। सबसे बड़ी और विचारणीय बात तो यह है कि TikTok पर मुस्लिमों के धर्म-सम्बन्धी वीडियो एवं अन्य धर्मों की आलोचना करने को हिन्दू-युवावर्ग बढ़ावा क्यों दे रहा है? इसका सीधा-सा कारण यही है कि उन युवाओं के अभिभावक अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और उनके बच्चे TikTok रूपी वायरस से ग्रसित होते जा रहे हैं। यदि हिन्दुओं के अभिभावकों ने अपने बच्चों को धर्म और संस्कृति की थोड़ी भी शिक्षा दी होती तो आज ऐसा न होता। न जाने हिन्दूवर्ग को यह बात कब और कैसे समझ में आयेगा कि जो मुसलमान अपने अल्लाह के न हो सके, वह किसी और मनुष्य के होंगे? अतः मुसलमानों द्वारा बनाये ऐसे वीडियो के चलते TikTok भारत में प्रतिबंधित होना चाहिए।
[स्त्रोत- जय विजय मासिक पत्रिका का जून २०२० का अंक]
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