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Showing posts from May, 2018

ईश्वर सर्वज्ञ है!

ईश्वर सर्वज्ञ है! प्रश्न- क्या ईश्वर भविष्य जानता है या नहीं? अगर जानता है तो फिर हमारा भविष्य निश्चित् है अर्थात् हमारे अच्छे और बुरे कर्म ईश्वर ने ही निर्धारित किये हैं। अगर नहीं जानता है तो फिर ईश्वर सर्वज्ञ नहीं रह जाता है। ईश्वर सर्वशक्तिमान् है वा नहीं? उत्तर- ईश्वर भविष्य जानता है लेकिन सनातन भविष्य ही जानता है अनित्य भविष्य नहीं। ईश्वर जानता है कि किस कर्म का क्या दण्ड देना है या ईश्वर को पता है गर्मी के बाद वर्षा है या प्रलय कब करना है आदि-आदि लेकिन मैं कब क्या करूँगा यह नहीं जनता। जैसे मैं दिल्ली जाने के लिए कल का रिजर्वेशन करवाता हूँ तो ईश्वर को पता चलता है कि मैं दिल्ली जाने वाला हूँ लेकिन जाऊँगा या नहीं यह अनिश्चय है। हो सकता है मैं कैंसल करवा दूँ या दिल्ली न जाकर आगरा ही उतर जाऊं। जीव कर्त्तव्य कर्मों में स्वतन्त्र तथा ईश्वर की व्यवस्था में परतन्त्र है। 'स्वतन्त्र: कर्त्ता' यह पाणिनि व्याकरण का सूत्र है। जो स्वतन्त्र अर्थात् स्वाधीन है वही कर्त्ता है। यदि ईश्वर हमारे सारे भविष्य को जानता तो इसका मतलब हुआ कि हमारे सारे कर्मों का निर्धारण पहले से ही हो

आर्यावर्त के वीर पुत्र सुखदेव जी की बलिदान गाथा

आर्यावर्त के वीर पुत्र सुखदेव जी की बलिदान गाथा (आज १५ मई, वीर क्रान्तिकारी सुखदेव जी के जन्मदिवस के अवसर पर विशेष रूप से प्रकाशित) प्रियांशु सेठ हमारा भारतवर्ष पहले स्वतन्त्र एवं धन-धान्य से परिपूर्ण था लेकिन भारत की यह सम्पन्नता विदेशी लोगों की नजर में खटकने लगी। हमारे भोलेपन का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने हमारे देश पर अधिकार कर लिया। अंग्रेजों के अत्याचार ने इस सीमा को पार कर लिया था और भारतवासी इस अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए छटपटाने लगे। एक ओर उस महात्मा गांधी का अहिंसा आन्दोलन चल पड़ा और दूसरी ओर क्रान्तिकारियों ने क्रान्ति का बिगुल बजा दिया। ऐसे ही एक वीर क्रान्तिकारी थे सुखदेव। आपका जन्म १५ मई, सन् १९०७ में पंजाब प्रान्त के लायलपुर नामक स्थान में हुआ था (वर्तमान में लायलपुर पाकिस्तान में है)। आपकी माताजी अत्यन्त धार्मिक तथा भावुक प्रवृत्ति वाली महिला थीं और परिवार आर्यसमाजी था, जिसका अत्यधिक प्रभाव आप (सुखदेव) पर पड़ा। धार्मिक बातों में आपकी बहुत रुचि थी और अपनी मां से तो वीर रस की कहानियां भी सुना करते थे। इसका प्रभाव यह हुआ कि आप वीर और निडर बन गए एवं योद्ध

परमेश्वर का अवतार यीशु या झूठ का ढिंढोरा

परमेश्वर का अवतार यीशु या झूठ का ढिंढोरा (ईसाई विद्वान् यीशु/ईसाई परमेश्वर को कलंकित होने से बचाएं) पादरी और आर्य की बहस-- पादरी- यीशु परमेश्वर का अवतार था जो कि समाज की भलाई करने के लिए आया था। आर्य- यह बताओ कि क्या परमेश्वर कभी मर सकता है? यदि नहीं तो यीशु कैसे मर गया? भलाई करने ही आया था तो क्या केवल उसी समय पृथ्वी पर भोले-भाले लोगों पर अत्याचार हो रहा था जो यीशु बचाने आया था, क्या अब नहीं हो रहा? पादरी:- वह मरा नहीं "तीन दिन बाद लौट आया था"। आर्य- चलो! एक क्षण के लिए यह मान भी लें कि यीशु लौट आया था तो यह बताओ कि लौटने के बाद यीशु अब कहां है? क्या वह अदृश्य हो गया? यदि हां तो क्यों? क्या वह डर रहा है कि कहीं फिर से सूली पर न चढ़ना पड़े? पादरी- नहीं। वह हम सब के हृदय में है? आर्य- यदि हृदय में है तो क्या उस समय वह हृदय के बाहर था जो सूली पर चढ़ा दिया गया? पादरी- परमेश्वर के अवतार हम सब हैं क्योंकि बाइबिल उत्पत्ति १:२६ में लिखा है, "फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियो