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जन्नत की सैर



जन्नत की सैर

लेखक- सन्नाटा सिंह

झूठ के पांव नहीं होते, यदि इस कहावत से अल्लाह को सम्बोधित किया जाय तो अत्युक्ति न होगी। इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि धर्म वासना को वश में रखने की शिक्षा देता है। मुसलमानों के पास अपने मत की ओर लालच देने वाला बौद्धिक आधार केवल बहिश्त (जन्नत/स्वर्ग) की कल्पना है। वेदों के प्रकाण्ड विद्वान् महर्षि दयानन्द सरस्वतीजी अपने ग्रन्थ "स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश:" में स्वर्ग को परिभाषित करते हुए लिखते हैं- "स्वर्ग नाम सुख विशेष भोग और उस की सामग्री की प्राप्ति का है।"
मुसलमानों का स्वर्ग ऐसा स्थान है, जहां दुःख का सर्वथा अभाव है, सुख ही सुख है और सुख भी ऐसा जो कभी समाप्त नहीं होगा। देखो, कुरान में लिखा है-
अल्लज़ी अहल्लना दारलमुकामते मिनफ़ज़लिही ला यमस्सुना फ़ीहा नसवुन वला यमस्सुनाफ़ीहा लग़ूबुन। -मं० ५, सि० २२, सू० ३५, आ० ३५
अर्थ- जिसने उतारा हमको सदा रहने वाले घर में, हमें उसमें कोई परिश्रम नहीं करना पड़ता और न उसमें हम कभी थकान अनुभव करते हैं।

कुरान में हुक्म है कि अल्लाह पर ईमान लाने वाले मौत के बाद जन्नत में दाख़िल होंगे-
व बश्शिरल्लज़ीना आमनू व अमिलुस्साहिलाते इन्ना लहुम जन्नातिन। -मं० १, सि० २, सू० २, आ० २५
अर्थ- और शुभ सन्देश दे दे उन्हें जो ईमान लाए जिन्होंने कर्म किए अच्छे और उनके लिए बहिश्त हैं।

मुसलमानों पर तोहमतों की बौछार तो यहीं से शुरू हो जाती है कि जब अल्लाहमियां का हुक़्म है- "और यह कि सजदे अल्लाह के हैं तो अल्लाह के साथ किसी को न पुकारो (मं० ७, सि० २९, सू० ७२, आ० १८)", फिर मुसलमान कल्मे में 'ला इलाह इल्लिला: मुहम्मदर्रसूलल्ला:' अल्लाह के साथ पैगम्बर मुहम्मद को क्यों पुकारते हैं? अस्तु!

हम आपको कुरान की एक अन्य आयत से परिचित कराते हैं-
जन्नाते अदनिन मुफ़त्तहतन लहुमुल अबवाबे मुत्तकईन फ़ीहे बिफ़ाकिततिन कसीरतिनव्वशराबिन, व इन्दहुम कसरातुतरफ़े अतराबुन। -मं० ६, सि० २३, सू० ३८, आ० ५०,५१,५२
अर्थ- बाग है हमेशा रहने वाले, खुले हैं द्वार उनके लिए उसमें तकिया लगाए होंगे। मँगवाएंगे बहुत मेवे और पीने की चीजें और निकट होंगी लजीले नयनों वाली समवयस्क।

इन सभी भोग-विलासों को देखकर एक विलासी धनवान के महल की कल्पना हो सकती है। मैंने जन्नत की परिभाषा व विशेषता तो बतला दी, अब इस जन्नत का रहस्य खोलता हूं।

●जन्नत में क्या जायेगा: शरीर या रूह, कुरान और हदीस से अवलोकन कीजिये-

•इब्ने अब्बास ने कहा, रसूल ने कहा है कि अल्लाह ने मेरे सामने से एक-एक करके सभी उम्मतों को पेश किया। मैंने देखा कि ऐसे कई नबी थे जिनके केवल एक या दो ही अनुयायी थे और एक नबी तो ऐसे थे कि जिनका एक भी अनुयायी नहीं था तभी क्षितिज से एक बहुत बड़ी भीड़ आती हुई दिखाई दी। मैंने पूछा कि क्या यह मेरी उम्मत है? जवाब आया- नहीं। यह तो मूसा की उम्मत है और कहा गया कि देखो, इस भीड़ से सारा क्षितिज भर गया है। फिर कहा गया कि देखो यह तुम्हारी उम्मत है, जिनमें से केवल सत्तर हजार लोग ही जन्नत में दाखिल होंगे। -सही बुख़ारी, जिल्द ७, किताब ७१, हदीस ६०६

•रसूल ने कहा है कि अल्लाह ने मुझसे वादा किया है कि मेरी उम्मत के सत्तर हजार लोग (मुसलमान) जन्नत में जाएंगे, और उनसे (उनके कर्मों का) कोई हिसाब नहीं लिया जाएगा। -सुनन इब्ने माजा, जिल्द ५, किताब ३७, हदीस ४४२६

उक्त हदीसों से प्रमाणित है कि जन्नत में केवल ७०००० मुसलमान लोगों का ही दाख़िला होगा और अल्लाह ने सत्तर हजार लोगों की ही सीमा निर्धारित की है, तो उससे अधिक किसी का जन्नत जाने का सवाल ही नहीं उठता? अब आगे देखते हैं-

•रसूल ने बताया कि जन्नत में हरेक को इनाम में अस्सी हजार सेवक और बहत्तर औरतें मिलेंगी। -जाम-ए-तिरमिजी, जिल्द ४, किताब १२, हदीस २५६२

यहां रसूल कहता है कि उन ७०००० लोगों में प्रत्येक को ८०००० सेवक तथा ७२ औरतें मिलेंगी। प्रथम, मुसलमानों की जन्नत कितनी बड़ी है? इसका जवाब आजतक कोई न दे सका और न ही इनके कुरान और हदीसों में ही मिलता है।
दूसरे, मुसलमानों को ८०००० सेवक तथा ७२ औरतें मिलेंगी और उपरोक्त हदीस के मुताबिक ७०००० लोग ही जन्नत जायेंगे अर्थात्

७०००० (मुसलमान) × ७२ (औरतों) = ५०४०००० (औरतों की संख्या)
७०००० (मुसलमान) × ८०००० (सेवक) = ५६०००००००० (सेवकों की संख्या)

१. जब जन्नत में ७०००० लोगों के लिए ही स्थान है तो बाकी सेवक और औरतें कहां ठहरेंगी?

२. इससे भी बड़ा सवाल यह है कि अल्लाह तो जन्नत में मुसलमानों की रूहें बुलाता है (खुदा ही लोगों के मरने के वक्त उनकी रूह अपनी तरफ खींच बुलाता है। -मं० ६, सि० २४, सू० ३९, आ० ४२), तो क्या जन्नत में रूहें शराब और औरतों का आनन्द लेंगी?

३. अल्लाह द्वारा पैदा किये रूह का लिंग (चिन्ह) भी है, क्या? यदि नहीं, तो जन्नत में सेवक (पुल्लिंग) और औरत (स्त्रीलिंग) की रूह कैसे? यदि हां, तो रूह शरीर में फूंकने की क्या आवश्यकता?

•और दूसरी मिसाल इमरान की बेटी मरियम जिसने अपनी शर्मगाह को महफूज़ रखा तो हमने उसमें रूह फूंक दी और उसने अपने परवरदिगार की बातों और उसकी किताबों की तस्दीक़ की और फरमाबरदारों में थी। -मं० ७, सि० २८, सू० ६६, आ० १२

४. मुसलमानों की एक गन्दी आदत भी है, पक्षपात के कारण सत्य अपनी आंखों से देखकर भी कबूल नहीं करते हैं। यदि हम यह मानें कि मुसलमान शरीर सहित जायेंगे तब भी प्रश्न वही है कि जब मुसलमान जन्नत जायेंगे तो वहां के सेवकों और औरतों में किसकी रूह होंगी? इनके शरीर किसके रूह से संचालित होंगे? क्योंकि हदीस के मुताबिक मात्र ७०००० मुसलमान (रूह) ही जन्नत में होंगे और इस सिद्धान्त को इस्लाम भी स्वीकार करता है कि रूह के बिना शरीर का संचालन होना असंभव है; जैसा कि कुरान की निम्न आयत में अभिप्रेत है-

•और ऐ रसूल! उस बीबी को याद करो जिसने अपनी अज़मत की हिफाज़त की तो हमने उनके पेट में अपनी तरफ से रूह फूँक दी और उनको और उनके बेटे (ईसा) को सारे जहाँ के वास्ते अपनी क़ुदरत की निशानी बनाया। -मं० ४, सि० १७, सू० २१, आ० ९१

●अल्लाहमियाँ से छिपकर जन्नत जा सकते हैं-

•अनस बिन मलिक ने कहा कि रसूल ने बताया- तब कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो अपना हुलिया और रंग बदल लेंगे फिर नजर बचाकर जहन्नम से भागकर जन्नत में घुस जायेंगे और जन्नत के लोग उनको "अल जहन्नमयीन (Al-Jahannamiyin)" कहकर स्वागत करेंगे। -सही बुख़ारी, जिल्द ८, किताब ७६, हदीस ५६४

यही बात ५७१वीं हदीस में भी लिखी है। इस हदीस से ज्ञात होता है कि अल्लाहमियां लापरवाह है अन्यथा जहन्नम के लोग अल्लाह की आंखों में धूल झोंककर जन्नत में कैसे घुस गए? उनको वहां क्यों रहने दिया गया?

●अन्यायी अल्लाह ने किया जहन्नम की सैर-

•अबू हुरैरा ने कहा, रसूल ने बताया- जब जन्नत और जहन्नम बहस कर रहे थे तो जन्नत ने कहा- मैं तो लाचार, कमजोर लोगों को पसन्द करती हूँ और उनपर रहम करती हूँ तब जहन्नम ने कहा- मुझे तो अन्यायी और अभिमानी लोग पसन्द हैं और उन्हीं से पूरी जगह भर दूंगी। जब ऐसे ही लोगों को जहन्नम में डाला जा रहा था तब जहन्नम ने तीन बार पूछा- क्या अभी भी कोई बाकी रह गया है? अभी भी जगह खाली है तब अल्लाह को भेजा गया। जैसे ही अल्लाह ने जहन्नम के अन्दर पैर डाला, जहन्नम बोली- "कत! कत! कत! (बस! बस! बस!)", इतना काफी है और द्वार बंद कर दिया गया। -सही बुख़ारी, जिल्द ९, किताब ९३, हदीस ५४१

•अनस बिन मलिक में कहा कि रसूल ने बताया कि जब तक अल्लाह अन्दर नहीं घुसे, जहन्नम पूछती रही- क्या कोई और आने से रह गया है। लेकिन जैसे अल्लाह ने प्रवेश किया, जहन्नम बोली- कत! कत! (बस! बस!) काफी हो गया और सभी तरफ द्वार बंद हो गए। -सही बुख़ारी, जिल्द ८, किताब ७८, हदीस ६५४

•अनस ने कहा रसूल ने बताया जिस समय लोगों को जन्नत में धकेला जा रहा था और जहन्नम पूछ रही थी कि 'क्या अब भी कोई बाकी रह गया है?' (५०/३०) जब अल्लाह अन्दर गए तो वह बोलेगी- कत! कत! -सही बुख़ारी, जिल्द ६, किताब ६० हदीस ३७१

इन हदीसों से सिद्ध होता है कि अल्लाह बेईमान और अन्यायी है। जो न्यायकारी होता तो जहन्नम नहीं जाता और अब भी अल्लाह जहन्नम में ही होगा क्योंकि जहन्नम का दरवाजा तो बन्द है। उपरोक्त सभी प्रश्नों का सप्रमाण उत्तर विश्व का कोई भी मौलाना नहीं दे सकता, यह मेरी चुनौती है। इस्लाम ने जन्नत के बहुत से प्रलोभनों को देकर लोगों का धर्मान्तरण कराया है; अतः मैंने इनके जन्नत का रहस्य खोल दिया। शायर ग़ालिब ने इस जन्नत की सत्ता को अस्वीकार करते हुए कहा है-

"खूब मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
दिल के बहलाने को गालिब यह ख्याल अच्छा है।"

पाठकवर्ग! आप स्वयं निर्णय करें, स्वामी दयानन्द के बताए वेदोक्त मार्ग पर चलने से मनुष्य का कल्याण होगा या अल्लाह के बताए जन्नत का ख़्वाब देखने से?

।।इत्योम् शम्।।

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