इस्लाम का खुदा मन्दबुद्धि है!
[इस्लाम मत के मौलवी उत्तर देने अवश्य आयें]
इस्लाम मत में मान्यता है कि अल्लाह/खुदा निराकार, सर्वज्ञ, पक्षपातरहित, दयालु, न्यायकारी आदि गुण-कर्म-स्वभाव वाला है। जैसा कि हम जानते हैं 'हिंसा करना मुसलमानों का स्वभाव है'। अब यह गुण इनके कुरान में लिखा अथवा खुदा ने आदेश दिया है, पता नहीं। यदि कुरान में लिखा तो इससे अल्लाह पर दो दोष लगते हैं क्योंकि कुरान तो अल्लाह ही की वाणी है- १. कुरान हमें उपदेश नहीं अपितु हिंसा करना सीखा रहा है।, २. यदि कुरान ईश्वरीय वाणी है तो खुदा में दयालु होने का गुण नहीं रह जाता अर्थात् इनका खुदा निर्दयी एवं दोषपूर्ण है।
यदि मैं यह कहूं कि ये सारी मान्यताएं (निराकार, सर्वज्ञ, पक्षपातरहित, दयालु आदि) काल्पनिक हैं तो मुसलमानों को तुरन्त मिर्ची लगेगी लेकिन यदि मैं इसे कुरान से सिद्ध करूं कि उपरोक्त गुणों में खुदा के पास एक भी गुण नहीं है तो वह मेरी बात पर चिन्तन-मनन करके समझेंगे। आइये, आपको कुरान मजीद से सिद्ध करके दिखाता हूँ-
1. साकार अल्लाह-
खुदा मनुष्य की सूरत शक्ल वाला है। उसके पास हाथ, चेहरा, कमर, मुंह सब है, यह बात कुरान में स्पष्ट रूप से प्रगट है। देखिए-
१. और अल्लाह के हाथ उन लोगों के हाथों के ऊपर हैं। - सूरा (अल-फतह) ४८, आयत १०
२. रब ने कहा कि हे शैतान तुझे किस बात ने सिजदा करने से रोका जबकि मैंने आदम को अपने दोनों हाथों से बनाया है। - सूरा (साद) ३८, आयत ७५
३. क़यामत के दिन यह धरती पूरी की पूरी अल्लाह की मुट्ठी में होगी, और आकाश उसके दायें हाथ में लिपटा होगा। -सूरा (अज़-जुमार) ३९, आयत ६७
४. तुम जिस दिशा में मुंह करोगे अल्लाह का चेहरा उसी तरफ होगा। -सूरा (अल-बक़रा) २, आयत ११५
५. जो अल्लाह के चहरे पर प्रसन्नता चाहते हैं वही सफल होते हैं। -सूरा (अर-रूम) ३०, आयत ३८
नोट:- इन आयतों में अरबी में वज्ह (وَجْهَ ) शब्द आया है, जिसका अर्थ चेहरा होता है। ज्यादा जानकारी के लिए मुसलमान अपने किसी भी मौलवी से पूछ सकते हैं।
६. मती शैरुलवारी शरह बुखारी बाबुल तफसीर ११ वीं सफा पर लिखा है कि खुद की कमर धागे से बंधी है।
७. और कितने ही रसूल हुए जिनका वृतान्त पहले हम तुमसे बयान कर चुके हैं और कितने ही ऐसे रसूल हुए जिनका वृतान्त हमने तुमसे बयान नहीं किया। और मूसा से अल्लाह ने बातचीत की, जिस प्रकार बातचीत की जाती है। -सूरा (अन-निसा) ४, आयत १६४
प्रश्न- स्पष्ट लिखा है बातचीत की। अब बातचीत तो मुंह से ही होती है तो अल्लाह निराकार कैसे हुआ?
2. हिंसक व निर्दयी अल्लाह-
शीर्षक पढ़कर चौंकिए मत! कुरान अल्लाह की वाणी है तो इसमें अल्लाह ने अपने ही गुण दिए हैं। अल्लाह हिंसक भी है इसलिए मुसलमानों को भी हिंसा करना सिखाया है। देखिए-
१. फिर, जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो मुशरिकों (मूर्तिपूजकों) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो फिर अगर वे तौबा कर लें नमाज कायम करें और जकात दें तो उन्हें छोड़ दो। -सूरा (अत-तौबा) ९, आयत ५
२. हे ईमान लाने वालों (केवल एक अल्लाह को मानने वालों) मुशरिक (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं। -सूरा (अत-तौबा) ९, आयत २८
प्रश्न:- अब कोई बताये- जब अल्लाह ने मूर्तिपूजा करने हेतु इन्कार किया है तो मुसलमान कब्र पर पत्थर के आगे सर क्यों पटकते हैं? कुरान के अनुसार मुसलमानों को तो एक-दूसरे का कत्ल कर देना चाहिए।
3. पक्षपाती व अन्यायकारी अल्लाह-
१. अल्लाह काफिर लोगों को मार्ग नहीं दिखाता। -सूरा (अत-तौबा) ९, आयत ३७
२. ऐ नबी! काफिरों और मुनाफिकों के साथ जिहाद करो, और उन पर सख्ती करो और उनका ठिकाना जहन्नम है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे। -सूरा (अत-तहरीम) ६६, आयत ९
प्रश्न- कोई बताए, अल्लाह मियां ने ऐसा क्यों किया? जब कुरान अल्ल्लाह की वाणी है, कुरान सृष्टि पर उतरने के बाद मनुष्योत्तपत्ति हुई तो काफिर कहां से पैदा हो गए? सभी को तो मुसलमान ही बनना चाहिए था। और पैदा हुए भी तो अल्लाह उन्हें मार्ग क्यों नहीं दिखाएगा? यहां तो स्पष्ट है कि अल्लाह पक्षपाती है।
4. विज्ञान में अनुत्तीर्ण अल्लाह अर्थात् अल्पज्ञ-
अल्लाह को विज्ञान आता है या नहीं अर्थात् वह सर्वज्ञ है या नहीं, इसका प्रमाण भी कुरान से ले लीजिए। देखिए-
१. अल्लाह ने आकाश को धरती पर गिरने से रोक रखा है। -सूरा (अल-हज़) २२, आयत ६५
२. आसमान में ओलों के पहाड़ जमें हुए हैं। -सूरा (अन-नूर) २४, आयत ४३
३. सूरज और चांद जमा किए जाएंगे। -सूरा (अल-कियामह) ७५, आयत ९
४. सूरज काली कीचड़ के तालाब में डूबता है। - सूरा (अल-कहफ़) १८, आयत ८६
अल्लाह की यह ऊट-पटांग वाणी विज्ञान विरुद्ध एवं सृष्टि नियम के विरुद्ध है। अल्लाह तो अपनी ही वाणी में अपनी अज्ञानता का परिचय दे रहा है। इससे सिद्ध हुआ कि अल्लाह अल्पज्ञ एवं विज्ञान से अनभिज्ञ है। अल्लाह बेचारे को तो नर्सरी से विज्ञान पढ़ना चाहिए।
5. अल्लाह चुनौती में फेल हो गया-
कुरान में अल्लाह ने चुनौती दी है कि-
१. ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते। -सूरा (अर-रहमान) ५५, आयत ३३
२. तुम न तो धरती में क़ाबू से बाहर निकल सकते हो और न आकाश में। -सूरा (अल-अनकबूत) २९, आयत २२
यह बताइए क्या वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर नहीं जा रहे? यहां अल्लाह तो चुनौती में भी फेल हो गया। अल्लाह ने अपनी वाणी में खूब डींगें हांक रखी हैं।
उपरोक्त सभी प्रमाणों से सिद्ध है कि अल्लाह कल्पित, अल्पज्ञ एवं मन्दबुद्धि है।
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