आत्मा के दर्शन के उपाय प्रियांशु सेठ संसार में यदि कोई दर्शन के योग्य वस्तु है, तो वह केवल आत्मा है। याज्ञवल्क्य ने इसके तीन उपाय बताए हैं जो इस प्रकार हैं- (१) श्रवण, (२) मनन, और (३) निदिध्यासन। १. श्रवण ब्रह्मविद्या को क्रियात्मक रूप से जानने वाले किसी विद्वान गुरु से या किसी मोक्ष-शास्त्र से उपदेश लेना 'श्रवण' कहलाता है। सच्चे गुरु के बिना और सत्य-शास्त्र के बिना सन्मार्ग का मिलना कठिन है। कठोपनिषद् में कहा है- उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत ! "उठो, जागो! चुने हुए आचार्यों के पास जाओ और समझो!" यही कारण है कि आर्य-हिन्दुओं में यह कहा जाता है कि "गुरु बिना गति नहीं।" इसीलिए गुरु धारण करने की प्रथा अब तक चली आती है; परन्तु जिस प्रकार संसार के दूसरे क्षेत्रों में त्रुटियाँ आ गई हैं, इस क्षेत्र में भी ढोंग अधिक हो गया है। अतएव बड़ी सावधानी से गुरु को चुनना चाहिए। सच्चे अनुभवी और पहुंचे हुए गुरुओं का अभाव नहीं है। ऐसे महानुभावों के पास पहुँचकर सबसे पहला प्रभाव यह होता है कि हृदय को शान्ति-सी मिलती है। ऐसे ही गुरु आत्मा के द...