क्या वेदों के चार विभाग वेदव्यास ने किए? लेखक- प्रियांशु सेठ प्रायः वेदों के विषय में इस भ्रांति को प्रचारित किया जाता है कि वेद पहले एक थे और द्वापरान्त उन्हें वेदव्यास द्वारा चार भागों में विभाजित किया गया। इस भ्रांति को आधार बनाकर विधर्मी हमारे पवित्र ग्रन्थ वेदों पर अनुचित आक्षेप करते हैं। जैसे, यदि वेदों का विभाजन मनुष्य द्वारा हुआ तो इससे वेदों की अपौरुषेयता पर प्रश्नचिह्न लगता है। क्या वैदिक ईश्वर का सामर्थ्य अल्प है जो वह वेदों को चार भाग में प्रकाशित न कर सका? इत्यादि। इन आक्षेपों के प्रभाव से धार्मिक जनों की वेदों के प्रति श्रद्धा न्यून हो जाती है। इस आलेख में हम विधर्मियों के आक्षेपों का सप्रमाण और युक्तियुक्त जवाब देकर वेदों की अपौरुषेयता को आलोकित करेंगे। आर्यावर्तीय मध्यकालीन ग्रन्थकारों की वेदों के विषय में धारणा रही है कि वेद पहले एक था। उसे चार भागों में बांटने वाले भगवान् वेदव्यास थे। यथा- १. महीधर अपने यजुर्वेदभाष्य के आरम्भ में लिखता है- "तत्रादौ ब्रह्मपरम्परया प्राप्तं वेदं वेदव्यासो मन्दमतीन्मनुष्यान्विचिन्त्य तत्कृपया चतुर्धा व्यस्य...