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Showing posts from March, 2018

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम (मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र जी के जन्मदिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित) प्रियांशु सेठ रामचन्द्र जी ईश्वर के भक्त, वेदों के विद्वान्, सभी में प्रिय, सत्यवादी, कर्मशील, आदर्श, आज्ञाकारी, वचन के दृढ़ आदि सभी शस्त्र विद्याओं में निपुण व्यक्ति थें। उनके राज्य में कोई भी व्यक्ति दुःखी नहीं, कोई नारी विधवा नहीं, कहीं अकाल नहीं, कहीं चोरी, द्यूत आदि नहीं होता था। कुछ लोग रामचन्द्र जी के बारे में पूर्ण रूप से उनका व्यक्तित्त्व न जानकर और विशेष दूसरे सम्प्रदाय के लोग उनपर आक्षेप करते हैं जिसमें मुख्य यह प्रचलन में है कि रामचन्द्र जी मांस का सेवन करते थे चूंकि वाल्मीकि रामायण पढ़ने से किसी प्रकार का सन्देह नहीं रहता कि रामचन्द्र जी का व्यवहार कैसा था, वह किस जाति के थे, वह मांस का सेवन करते थे वा नहीं आदि? समस्त वेद शास्त्र के मानने वाले एक मत होकर कहते हैं कि वह सूर्यवंशी कुल में प्रसिद्ध राजर्षि थे। उनका समस्त जीवन हमें उपदेश दे रहा है कि वह आर्य जाति के शिरोमणि और वैदिक धर्म के मानने वाले वेदों के प्रकाण्ड विद्वान् और पुरुषार्थयुक्त व्यक्ति थें। उ...

क्या बीमारी भी भगवान का रूप है?

क्या बीमारी भी भगवान का रूप है? आजकल बीमारी को भी लोग भगवान का नाम देने लगे हैं। इसमें मुख्य नाम है चेचक। छूत के कारण समाज में तेजी से फैलने वाली यह बीमारी माताजी के नाम से प्रचलित है। बड़े-बड़े एवं पढ़े-लिखे लोग तक इस भ्रम में जीते हैं कि यह कोई बीमारी नहीं अपितु साक्षात माताजी (चेचक) आयी हैं तो अनपढ़ से क्या उम्मीद रखें? इसका सबसे बड़ा कारण है अज्ञानता व अन्धविश्वास। आइए एक वृत्तान्त द्वारा समझते हैं कि जब एक पौराणिक व्यक्ति के घर किसी को चेचक रोग होता है तो वहां की स्थिति कैसी होती है एवं यह अन्धविश्वास दूर कैसे होता है? पिताजी- डॉ साहब, देखिए मेरी 3 वर्ष की बिटिया को क्या हो गया है? न ठीक से खा रही है न ठीक से सो रही है और न ही खेल रही है, केवल रोती रहती है। कोई ऐसी दवाई दीजिए जिससे यह सब ठीक हो जाये और वो पहले की तरह खेलने लगे। डॉ साहब- कितने दिनों से ऐसी है? पिताजी- लगभग चार-पांच दिनों से। डॉ साहब ने कुछ दवाइयां लिख दीं और कैसे खिलाना है, सब पर्चे पर लिख दिया। पिताजी- कब तक ठीक हो जाएगी? डॉ साहब- पहले दवाइयां तो खिलाइए! जल्द ही आराम हो जाएगा। पिताजी घर पहुंचने के बाद परिवार में...

दूध और मांसाहार

दूध और मांसाहार आज एक भा ई ने यह शंका रखी है कि दूध मांस से ही बनता है अतः वह मांसाहारी भोजन हुआ। समाधान- क्या दूध और मांस एक है? आप बचपन में अपनी माता का दूध पीते थे तो क्या आप यह कह सकते हैं कि आपने अपनी माता का मांस खाया है? बकरी का बच्चा अपनी माता का दूध पीता है तो क्या वह उसका मांस खाता है? गाय का बछड़ा अपनी मां का दूध पीता है तो क्या वह उसका मांस खाता है? आप सब गाय का दूध पीते हैं तो क्या आप गाय का मांस खाते हैं? अब आपका कहना है कि दूध मांस से बनता है। नहीं, मांस और दूध एक नहीं। परमात्मा स्त्री जाति के प्राणियों में उनकी सन्तान की सम्वृद्धि के लिए उसी भोजन का सूक्ष्म रूप दूध उत्पन्न कर देता है, जिससे बच्चों का शरीर पुष्ट रहे। आप ही बताइये अगर बचपन में बच्चे को दूध न दें तो क्या वह जीवित रह सकता है? प्रत्येक मां अपने बच्चों को खुशी-खुशी दूध पिलाती हैं। गोश्त तो नहीं खिलाती न! यदि बच्चा दांत निकालने की अवस्था में मां की छाती काट लेता है तो माँ मारती है। दूध पिलाने में मां को कष्ट नहीं होता। अब रह गया मांस का बात तो मांस बिना पीड़ा दिए मिल ही नहीं सकता। सभी प्राणी अ...

धार्मिक ग्रन्थों में नारी का तुलनात्मक अध्ययन

धार्मिक ग्रन्थों में नारी का तुलनात्मक अध्ययन प्रियांशु सेठ वर्तमान समय में आज भी हमारे देश में स्त्रियों का अपमान हो रहा है, विभिन्न प्रकार के धार्मिक पुस्तक बनाएं जा रहे हैं, धर्म भी विभाजित कर दिए गए हैं जिसमें स्त्रियों को कलंकित किया जा रहा है जिसका प्रभाव हमारे साधारण भाइयों, जवान युवक पर पड़ रहा है। वो उन्हें सदैव नीच दृष्टि से देखते हैं, अश्लील बातें करते हैं, स्त्रियों का विरोध तक करते हैं। ये बहुत ही निन्दनीय है कि नारी जिससे समस्त संसार है उसे ही मनुष्य नीच निगाहों से देखते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है वेद की आज्ञा को न मानकर कुरान और बाइबिल आदि के बातों को मानना जबकि प्राचीन-वैदिक काल में स्त्रियों का सम्मान किया जाता था। उस समय स्त्रियां विदुषी हुआ करती थीं; गार्गी, मैत्रेयी, सुलभा, वयुना, धारिणी आदि इसके उदाहरण हैं। यहां सभी पुस्तकों से नारी के अस्तित्वों एवं अधिकारों का संक्षिप्त विवरण देता हूं फिरअन्तर समझ आएगा कि किस पुस्तक अथवा ग्रन्थ ने नारी के अस्तित्व को ऊंचा बनाये रखा है? इस लेख में हम वेद, क़ुरान और बाइबिल में नारी विषय का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे। ...