दयामय दयानन्द लेखक- प्रो० ताराचन्द डेऊमल गाजरा प्रस्तुतकर्ता- प्रियांशु सेठ भगवान् दयानन्द के जीवन चरित्र के एक लेखक महोदय कहते हैं- एक अत्यन्त माधुर्य्यता की लहर उनके जीवन में प्रवाहित होती थी। जिस समय वे प्रेममय बैठे होते थे, उस समय उनके मित्र जीवन की कठिनाइयों की समस्या हल करते थे। उस समय उनकी आकृति से एक ज्ञानमय आभा प्रज्वलित होती थी। वे एक वृद्धमय विचार रूप में पशुवत कार्य प्रणाली का निदान अपनी विद्वत्ता से दमन करते थे। और उनके भिन्न प्रकार के अनुचित कृत्यों के उत्तरदायत्व का भर उन पर आरोपण करते थे। वे अपने अमूल्य विचारों द्वारा उन अंधकारमय समस्याओं को जिन में जनता लिप्त थी, भी प्रकाश भी करते थे। उनका विशाल हृदय दीन, अनाथों की दशा तथा निसहाय निधनों की अधःपतन रूपी दशा को देखकर सदैव अश्रुपात किया करता था। वे नित्य उन ही के प्रति जीवित रहे और उन्हीं के लिए कार्य करते रहे। उनके हृदय की विशालता तथा दयालुता का परिचय भली प्रकार मिलता है। निसंदेह यह सत्य है कि वीरवर दयानंद ने लगातार अनाथ तथा निसहाय-अबलाओं के लिए अनन्य कार्य किए। वे अनुभव करते थे कि भारत की देवियों ने अपने प्रा...