आर्यसमाज का सेवक 'श्री हाजी अल्ला रखीया रहीम तुल्ला' -प्रियांशु सेठ आर्यसमाज ने विभिन्न सम्प्रदायों के अनुयायियों की शुद्धि कर उन्हें वैदिक धर्म में दीक्षित करके उनपर महान् उपकार किये हैं। ईश्वर के सत्य स्वरूप से परिचित कराकर उसको पाने का वेदोक्त मार्ग बतलाना आर्यसमाज का जन सामान्य पर सबसे बड़ा उपकार है। आर्यसमाज के वेदोक्त विचारों ने जहां अपना प्रभाव सत्यप्रेमी और निष्पक्ष जनों के हृदय में स्थापित किया, उन्हीं में इसके एक समर्थक और प्रशंसक श्री हाजी साहब थे। हाजी साहब कच्छ के रहने वाले थे। पेशे से आप सोने का व्यापार किया करते थे। आप सर्वदा कहा करते थे कि संसार में धर्म वैदिक धर्म ही है। जब कोई आपसे कहता था कि आप शुद्ध क्यों नहीं होते तो आप उत्तर दिया करते थे कि मैं अशुद्ध नहीं हूं। आप आर्यसमाज के सत्संग में नियमपूर्वक जाया करते थे और आर्यसमाज के सिद्धान्तों से अभिज्ञ थे। आप सर्वदा विद्यार्थियों को पुस्तकें और छात्रवृत्ति दिया करते थे। निर्धनों को सहायता आपसे प्राप्त होती थी। आप आर्यसमाज में कई बार अपने पुत्रों को भी ले जाया करते थे। एक बार आपने एक स्नातक से कोई प्रश...