मानवता को महर्षि मनु की देन लेखक- डॉ० सुरेन्द्र कुमार (मनुस्मृति भाष्यकार) प्राचार्य, राजकीय महिला महाविद्यालय, महेन्द्रगढ़ (हरि०) प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ, डॉ विवेक आर्य 'मनुस्मृति नामक धर्मशास्त्र और संविधान के प्रणेता राजर्षि मनु 'स्वायम्भुव' न केवल भारत की, अपितु सम्पूर्ण मानवता की धरोहर हैं। आदिकालीन समाज में मानवता की स्थापना, संस्कृति-सभ्यता का निर्माण और इनके विकास में राजर्षि मनु का उल्लेखनीय योगदान रहा है। यही कारण है कि भारत के विशाल वाङ्मय के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों के साहित्य में मनु और मनुवंश का कृतज्ञतापूर्ण स्मरण तथा उनसे सम्बद्ध घटनाओं का उल्लेख प्राप्त होता है। यह उल्लेख इस तथ्य को स्पष्ट करता है कि प्राचीन समाज में मनु और मनुवंश का स्थान महत्वपूर्ण और आदरणीय था। जिस प्रकार विभिन्न कालखण्डों में उत्पन्न विशिष्ट व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने तथा उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिये उनका नाम स्थानों, नगरों आदि के साथ जोड़ दिया जाता है उसी प्रकार प्राचीन समाज ने मनु और मनुवंश का नाम सृष्टि के कालखण्डों के साथ जोड़कर चौदह मन्वन्तरों क...