मैं आर्यसमाजी कैसे बना? -श्री फैड्रिक जी फॉक्स एम०डी० (शिकागो) आर्य समाजी बनने से पूर्व के जीवन पर जब मैं दृष्टि डालता हूं और १४ वर्ष की आयु के पूर्व के उन दिनों को याद करता हूँ जबकि मैं ईसाई चर्च के संडे स्कूल (रविवारीय स्कूल) का विद्यार्थी था तो विदेशीय लोगों के प्रति मेरी दिलचस्पी की मधुर स्मृतियां मेरे मानस चक्षुओं के समक्ष उपस्थित हो जाती हैं। विदेश की घटनाओं को जानने और वहां की कहानियों को पढ़ने और सुनने की मेरी सदैव विशेष रुचि रही है। मिशनरियों द्वारा सुनाई जाने वाली कहानियों को सुनने के लिए जितना मैं उत्सुक रहता था उतना शायद ही कोई रहता हो। प्रतिवर्ष मुझे ऐसा लगता था कि भारत, चीन, अफ्रीका अथवा अन्य अज्ञात एवं रहस्यमय देशों में से किसी में अकाल पड़ने वा महामारी के फैल जाने की कहानी आयगी और पीडितों की सहायता के लिए धन की याचना की जायगी। उनके धर्म की चर्चा होगी और मूर्तियों की तस्वीरों का प्रदर्शन होगा जिनको विशेष वर्ग पूजता है। मैं सोचता था कि ये निर्धन लोग ईसाई क्यों नहीं और ईसाइयों जैसा उनका धार्मिक विश्वास क्यों नहीं है, ऐसा सोचने का कारण यह था कि मैं यह मानता था क...
क्या 'द्रविड़' भारतवर्ष के आदिवासी हैं? लेखक- डॉ० शिवपूजनसिंहजी कुशवाहा "वैदिक गवेषक" प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ जब भारतवर्ष पराधीन था और अंग्रेजों का प्रभुत्व था तब उन्होंने हमारी भाषा, वेष, इतिहास, संस्कृति सब का विनाश करने का प्रयत्न किया था। उन्होंने इतिहास में लिखवाया कि आर्य लोग भारत वर्ष के मूल निवासी नहीं वरन् बाहर से आए थे। यहां के आदि वासी कोल, भील, संथाल, मुण्डा, उरांव, द्रविड़ प्रभृति थे; पर यह बात सरासर भ्रम-पूर्ण है! 'आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द जी महाराज ने लिखा है कि- (प्रश्न) इस देश का नाम क्या था, और इसमें कौन बसते थे? (उत्तर) इसके पूर्व इस देश का नाम कोई भी नहीं था और न कोई आर्यों के पूर्व इस देश में बसते थे। क्योंकि आर्य लोग सृष्टि की आदि में कुछ काल के पश्चात् तिब्बत से सीधे इसी देश में आकर बसे थे। (प्रश्न) कोई कहते हैं कि यह लोग ईरान से आये। इसी से इन लोगों का नाम आर्य हुआ है। इनके पूर्व यहां जंगली लोग बसते थे कि जिनको असुर और राक्षस कहते थे। आर्य लोग अपने को देवता बतलाते थे और उनका जब संग्राम हुआ उसका नाम देवासुर संग्राम कथाओं में ठहर...