क्या 'द्रविड़' भारतवर्ष के आदिवासी हैं? लेखक- डॉ० शिवपूजनसिंहजी कुशवाहा "वैदिक गवेषक" प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ जब भारतवर्ष पराधीन था और अंग्रेजों का प्रभुत्व था तब उन्होंने हमारी भाषा, वेष, इतिहास, संस्कृति सब का विनाश करने का प्रयत्न किया था। उन्होंने इतिहास में लिखवाया कि आर्य लोग भारत वर्ष के मूल निवासी नहीं वरन् बाहर से आए थे। यहां के आदि वासी कोल, भील, संथाल, मुण्डा, उरांव, द्रविड़ प्रभृति थे; पर यह बात सरासर भ्रम-पूर्ण है! 'आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द जी महाराज ने लिखा है कि- (प्रश्न) इस देश का नाम क्या था, और इसमें कौन बसते थे? (उत्तर) इसके पूर्व इस देश का नाम कोई भी नहीं था और न कोई आर्यों के पूर्व इस देश में बसते थे। क्योंकि आर्य लोग सृष्टि की आदि में कुछ काल के पश्चात् तिब्बत से सीधे इसी देश में आकर बसे थे। (प्रश्न) कोई कहते हैं कि यह लोग ईरान से आये। इसी से इन लोगों का नाम आर्य हुआ है। इनके पूर्व यहां जंगली लोग बसते थे कि जिनको असुर और राक्षस कहते थे। आर्य लोग अपने को देवता बतलाते थे और उनका जब संग्राम हुआ उसका नाम देवासुर संग्राम कथाओं में ठहर
स्वामी श्रद्धानन्द का वध और गवर्नमेंट लेखक- प्रियरत्न शास्त्री प्रस्तुतकर्ता- प्रियांशु सेठ गवर्नमेन्ट! प्राचीन काल में यह प्रथा थी कि जब राजा अन्याय पर तुल जाता या भ्रान्त हो जाता था तो संन्यासिवृन्द और उच्च कोटि के ब्राह्मण राजा को उपदेश कर के सीधे मार्ग पर लाते थे। राजा लोगों को भी उनकी उपदिष्ट धर्म-पद्धति पर चलना पड़ता था क्योंकि उन्होंने धर्म युक्त नीति का अनुष्ठान करना अपना कर्तव्य समझा हुआ था, तथा उन संन्यासी और ब्राह्मणों से भय भी करते थे इसलिए कि यह निष्पज्ञ और निर्लोभ साधु हम से प्रजा को विमुख कर सकते हैं। ब्राह्म बल के सामने अपने क्षात्र बल को अल्प समझते थे। अत एव इस प्राचीन प्रथा नुसार आर्य संन्यासी और ब्राह्मण तेरी वर्तमान अन्याय पद्धति को विस्पष्ट और अति वृद्ध देख कर तेरे समझाने और असंतुष्ट हिन्दू प्रजा को यथोचित कर्तव्य का आदेश करने के लिये उठ खड़े हुए हैं। यद्यपि मैं एक वैदिक विद्यार्थी हूँ तथापि उक्त मार्ग का पथिक होने से कुछ कहना कर्तव्य समझता हूं- गवर्नमेंट! क्या तुझे ज्ञात है कि तेरे शासन काल में एक बड़ी भारी व्यक्ति हिन्दू धर्म के सम्राट तथा परिव्राट् स