नास्तिक मत समीक्षा लेखक- पण्डित हरिदेव जी तर्क केसरी प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ प्रश्न १- नास्तिक का क्या लक्षण है? अर्थात् नास्तिक किसे कहते हैं? उत्तर- जो ईश्वर की सत्ता से इन्कार करे वह मुख्य रूप से नास्तिक कहा जाता है। परन्तु स्वामी दयानन्द सरस्वती ने दस प्रकार के लोगों को नास्तिक संज्ञा दी है। यथा- (१) जो ईश्वर को न माने। (२) जो आत्मा और पुनर्जन्म स्वीकार न करे और यह कहे कि अग्नि, वायु, जल तथा पृथ्वी से आत्मा उत्पन्न होता और मृत्यु के पश्चात् इसका नाश हो जाता है इसलिए परलोक की चिन्ता करना व्यर्थ है। (३) जो ईश्वरीय ज्ञान वेद को न माने अर्थात् ज्ञान का विरोधी हो। (४) जो अभाव से भाव की उत्पत्ति माने, नेस्ति से हस्ती की पैदायश पर विश्वास रखता हो। (५) जो ईश्वर को बिना कर्मों के स्वेच्छा से फल प्रदाता मानता हो अर्थात् यह कहे कि ईश्वर अपनी मर्जी से जिसको चाहे जैसा बना दे लूला-लँगड़ा, अंधा, कोढ़ी इत्यादि। (६) स्वभाव-वादी, जो कहे कि स्वभाव से ही अपने आप ही सब कुछ बन बिगड़ रहा है, बनाने बिगाड़ने वाला कोई नहीं, जैसे जैन मत। (७) जो अपने आपको ब्रह्म या भगवान माने, "अहं ब्रह्मा अस्मि...