फलित ज्योतिष की अमान्य मान्यताओं से मानव जगत् से सबसे बड़ा भ्रामिक वैचारिक शोषण लेखक- पण्डित उम्मेद सिंह विशारद, वैदिक प्रचारक उन्नीसवीं शताब्दी के सबसे महान् समाजिक सुधारक आर्ष और अनार्ष मान्यताओं का रहस्य बताने वाले युगपुरुष महर्षि दयानन्द सरस्वती जी अपने अमरग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के द्वितीय समुल्लास के प्रश्नोत्तर में लिखते हैं। प्रश्न- तो क्या ज्योतिष शास्त्र झूठा है? उत्तर- नहीं, जो उसमें अंक, बीज, रेखागणित विद्या है, वह सब सच्ची, जो फल की लीला है, वह सब झूठी है। फलित ज्योतिष के द्वारा अवैदिक व सृष्टिक्रम विज्ञान के अमान्य अनार्ष मान्यताओं को चतुर लोगों द्वारा भारत की जनता का वैचारिक शोषण करके अपना मनोरथ तो पूर्ण किया ही है, अपितु भारत वर्ष को गुलामी के दलदल में धकेलने का भी कार्य किया है। बड़े अफसोस के साथ लिखना पड़ रहा है कि यह पाखण्ड इस वैज्ञानिक युग में भी दिनोदिन बढ़ता जा रहा है। स्वार्थी और चतुर किन्तु ज्ञान विज्ञान से शून्य लोग भोली-भाली जनता को फलित ज्योतिष की आड़ में कई प्रकार से लूट रहे हैं। इस माह का लेख फलित ज्योतिष पर लिखने का मन बना इसलिए प्रस्तुत लेख में क्ल...